क्या बात है सराहनीय अभिव्यक्ति सर। किसान सदैव सियासी मोहरा ही रहा है जिन्हें अपनी सुविधानुसार शह और मात के खेल में शामिल किया जाता है। सादर --------- जी नमस्ते, आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है पांच लिंकों का आनंद पर... आप भी सादर आमंत्रित हैं। सादर धन्यवाद।
क्या बात है सराहनीय अभिव्यक्ति सर।
जवाब देंहटाएंकिसान सदैव सियासी मोहरा ही रहा है जिन्हें अपनी सुविधानुसार शह और मात के खेल में शामिल किया जाता है।
सादर
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति...🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंगजब, सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।