मंगलवार, 10 नवंबर 2015
बुधवार, 9 सितंबर 2015
गुरुवार, 3 सितंबर 2015
फगुनिया
फगुनिया
***
रे फगुनिया
रे फगुनिया
सुन रही है रे तू
ठन ठन, ठनाक
यह छेनी
हथौड़ी
की आवाज़ नहीं है रेयह प्रेमी की
हाँक है
हनक है
सनक है
ठन ठन, ठनाक
यह छेनी
हथौड़ी
की आवाज़ नहीं है रेयह प्रेमी की
हाँक है
हनक है
सनक है
सुन रे फगुनिया
यह तुझे
स्वर्ग में भी सुनाई देगी
यह तुझे
स्वर्ग में भी सुनाई देगी
रे फगुनिया
प्रेम की ताकत है यह रे
पहाड़ का छाती तोड़ दिया इसने
और हमेशा की ही तरह
चूर चूर कर दिया
अहँकार का सीना...
प्रेम की ताकत है यह रे
पहाड़ का छाती तोड़ दिया इसने
और हमेशा की ही तरह
चूर चूर कर दिया
अहँकार का सीना...
रे फगुनिया
देख तो
यह शहंशाह का
ताजमहल नहीं है रे
यह गरीब का प्रेम है
निर्मल प्रेम
गहलौर घाटी के हर पत्थर पे
तेरा नाम गुदा है रे
रे फगुनिया..
सुन रही है रे
सुन तो
देख तो
यह शहंशाह का
ताजमहल नहीं है रे
यह गरीब का प्रेम है
निर्मल प्रेम
गहलौर घाटी के हर पत्थर पे
तेरा नाम गुदा है रे
रे फगुनिया..
सुन रही है रे
सुन तो
(बिहार के गया के गहलौर में दशरथ मांझी के द्वारा पत्नी के निधन के बाद बाईस सालों तक तक पहाड़ तोड़ कर रास्ता बना दिए जाने के बाद कुछ शब्द ...)
रविवार, 23 अगस्त 2015
गुरुवार, 16 जुलाई 2015
अपनी लाश को ढोना...
(अपनी वेदना को शब्द दी है, बस...)
पहाड़ सी जिंदगी
का बोझ पीड़ादायी होता है..
उससे अधिक
पीड़ादायी हो जाता है
किसी अपने का
पहाड़ सा
दिया हुआ दुख....
और जब
आदमी
अपनी ही लाश को
ढोते हुए जीने लगता है,
तब
उस असाह्य
पीड़ा के प्रति भी
वह संवेदनहीन सा हो जाता है!
जाने क्यूं...?
(चित्र- गूगल देवता से उधार लिया हुआ)
सोमवार, 6 जुलाई 2015
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015
"साथी" ने अर्ज़ किया है..
थोड़ी संजीदगी, थोड़ा एहसास दे दे ।
ऐ मोहब्बत, उनको भी मेरी प्यास दे दे ।।
***
उनकी बेवफाई का कहीं शिकवा न करूँ ।
अपनी मोहब्बत को कहीं रुस्बा न करूँ ।।
ऐसी इल्म कोई खास दे दे ।।
ऐ मोहब्बत, उनको भी मेरी प्यास दे दे ।।
***
शकून से ही जिंदगी गुजर नहीं होती ।
गम के बगैर जिंदगी मुख़्तसर नहीं होती ।।
मेरे महबूब को ये थोड़ी सी जज्बात दे दे ।
ऐ मोहब्बत, उनको भी मेरी प्यास दे दे ।।
***
जिस्म तो बाजारू है, सिक्कों पे बिका करती है ।
हुश्न का टूटता गरूर कोठो पे दिखा करती है ।।
मेरी सदा रूह तक पहुंचे, ऐसी कोई हालात दे दे ।
ऐ मोहब्बत, उनको भी मेरी प्यास दे दे ।।
***
ऐ मोहब्बत, उनको भी मेरी प्यास दे दे ।।
***
उनकी बेवफाई का कहीं शिकवा न करूँ ।
अपनी मोहब्बत को कहीं रुस्बा न करूँ ।।
ऐसी इल्म कोई खास दे दे ।।
ऐ मोहब्बत, उनको भी मेरी प्यास दे दे ।।
***
शकून से ही जिंदगी गुजर नहीं होती ।
गम के बगैर जिंदगी मुख़्तसर नहीं होती ।।
मेरे महबूब को ये थोड़ी सी जज्बात दे दे ।
ऐ मोहब्बत, उनको भी मेरी प्यास दे दे ।।
***
जिस्म तो बाजारू है, सिक्कों पे बिका करती है ।
हुश्न का टूटता गरूर कोठो पे दिखा करती है ।।
मेरी सदा रूह तक पहुंचे, ऐसी कोई हालात दे दे ।
ऐ मोहब्बत, उनको भी मेरी प्यास दे दे ।।
***
सोमवार, 30 मार्च 2015
गांव और मैट्रो की जिन्दगी...
गांव और मैट्रो की जिन्दगी में
थोड़ी सा फर्क होता है
बेमौसम बारिस
और ओला गिरने पर
सोशल मीडिया पे
मैट्रोवासी
और
एफएम पे आरजे
चुहल करते हुए
खुशनुमा मौसम के
कसीदे गढ़ते हैं.....
पर गांव में
बर्बाद हुए खेत को देख
किसान
आत्महत्या करते हैं.....!!
(एफएम रेडियो पर अभी अभी आरजे की चुहल को देखते हुए यह मेरी संवेदना के शब्द है, यदि किसी आरजे तक मेरी संवेदना पहूंचे तो प्लीज इसे प्रसारित करने का साहस करेगें....यह किसान का दर्द है जिसके खून पसीने की रोटी आप भी खाते है.....अरूण साथी, बरबीघा, बिहार...और शेयर करने वालों मित्रों से अनुरोध होगा कि साभार में मेरा नाम देने का कष्ट करें....)
थोड़ी सा फर्क होता है
बेमौसम बारिस
और ओला गिरने पर
सोशल मीडिया पे
मैट्रोवासी
और
एफएम पे आरजे
चुहल करते हुए
खुशनुमा मौसम के
कसीदे गढ़ते हैं.....
पर गांव में
बर्बाद हुए खेत को देख
किसान
आत्महत्या करते हैं.....!!
(एफएम रेडियो पर अभी अभी आरजे की चुहल को देखते हुए यह मेरी संवेदना के शब्द है, यदि किसी आरजे तक मेरी संवेदना पहूंचे तो प्लीज इसे प्रसारित करने का साहस करेगें....यह किसान का दर्द है जिसके खून पसीने की रोटी आप भी खाते है.....अरूण साथी, बरबीघा, बिहार...और शेयर करने वालों मित्रों से अनुरोध होगा कि साभार में मेरा नाम देने का कष्ट करें....)
रविवार, 22 मार्च 2015
"साथी" के बकलोल वचन / (बिहार के हालात पे मगही कविता)
बुढ़िया के बृद्धापेंशन ले दौराबो हा ।
जुअनका के रोजगार ले परदेश भगाबो हा ।।
कैसन बिहार दिवस मनाबो हा...
***
गरिबका के रहे ले झोपड़ियो नै है ।
अमिरके के इंदिरा आवास बनाबो हा ।।
कैसन बिहार दिवस मनाबो हा...
***
गाँव-गाँव, गली-गली सरकारी दारू बेचबाबो हा ।
अनपढ़बा के नकली सर्टिफिकेट पे मास्टर बनाबो हा ।।
कैसन बिहार दिवस मनाबो हा..
***
गरिबका के मिलो है नै पिये खातिर पानी,
बाबू साहेब के घर विधायक जी चापाकल गड़बाबो हा ।।
कैसन बिहार दिवस मनाबो हा...
***
गरीब के मिले बाला अनाज खा जाहो डीलर,
अफसर औ लीडर भी अपना हिस्सा बनाबो हा ।।
कैसन बिहार दिवस मनाबो हा...
***
थाना में दरोगा जी दे हथुन गाली,
एसपी तर जाहो त पैसा फरियाबो हा ।।
कैसन बिहार दिवस मनाबो हा...
***
नै खाद, नै बीज नै मिलो है किसान के डीजल अनुदान ।
इहे पैसा से पंचायत सेवक औ मुखिया महल बनाबो हा ।।
कैसन बिहार दिवस मनाबो हा..
गुरुवार, 19 मार्च 2015
बुधवार, 4 मार्च 2015
जोगीरा सा रा रा रा / बुरा मानो होली है
मोदी बनिया बड़ी सियाना, नोन-भात नै खाय।
आडानी के गले लगाबे, किसान पेट पकड़ डिरराय...।।
जोगीरा सा रा रा रा.. जोगीरा सा रा रा रा..
***
रे अरविन्दबा, रे जरलहबा, तोहूं लेगें उमताय।
सभ्भे नियर बुढ़-बुजुर्ग के घर से देले भगाय..।।
जोगीरा सा रा रा रा.. जोगीरा सा रा रा रा..
***
नीतीश भैया सुशासन के तोहूं देला भुलाय।
मोदी मोदी करो ह खाली, तोहूं गेला ललुआय....।।
जोगीरा सा रा रा रा.. जोगीरा सा रा रा रा..
***
राहुल बउआ, बउआ, सब मिल रहे मनाय।
पीएम कुर्सी लाकर दे दो, बउआ भागल जाय..।।
जोगीरा सा रा रा रा.. जोगीरा सा रा रा रा....
आडानी के गले लगाबे, किसान पेट पकड़ डिरराय...।।
जोगीरा सा रा रा रा.. जोगीरा सा रा रा रा..
***
रे अरविन्दबा, रे जरलहबा, तोहूं लेगें उमताय।
सभ्भे नियर बुढ़-बुजुर्ग के घर से देले भगाय..।।
जोगीरा सा रा रा रा.. जोगीरा सा रा रा रा..
***
नीतीश भैया सुशासन के तोहूं देला भुलाय।
मोदी मोदी करो ह खाली, तोहूं गेला ललुआय....।।
जोगीरा सा रा रा रा.. जोगीरा सा रा रा रा..
***
राहुल बउआ, बउआ, सब मिल रहे मनाय।
पीएम कुर्सी लाकर दे दो, बउआ भागल जाय..।।
जोगीरा सा रा रा रा.. जोगीरा सा रा रा रा....
शनिवार, 21 फ़रवरी 2015
समाजवाद का अंतिम निष्कर्ष..
उत्कर्ष देखिये
***
सेफई में दम तोड़ते
समाजवाद का
अंतिम संघर्ष देखिये..
सेफई में दम तोड़ते
समाजवाद का
अंतिम संघर्ष देखिये..
***
गरीब गुरबों के
नेताजी को
सामंतवादी
कायाकल्प होते
सहर्ष देखिये...
नेताजी को
सामंतवादी
कायाकल्प होते
सहर्ष देखिये...
***
चले थे जो बनके
दबे कुचलों
की आवाज़
उनकी नंगई
और
उनका
विमर्श देखिये...
दबे कुचलों
की आवाज़
उनकी नंगई
और
उनका
विमर्श देखिये...
***
कब्र तो खुद रहा था
कब से
दफन हो चुके
समाजवाद
का अंतिम
निष्कर्ष देखिये...
कब से
दफन हो चुके
समाजवाद
का अंतिम
निष्कर्ष देखिये...
***
शनिवार, 14 फ़रवरी 2015
बेलनटाइन डे पर ‘‘साथी’’ का दर्द (मगही हास्य कविता )
(अरूण साथी)
बेलनटाइन डे पर
हम्मर कन्याय रूठल हो
नोन, तेल, हरदी खातिर
घर में तोप छूटल हो.....
कहलको, जरलहवा के
मन कत्ते रंगीन हो
औ जेभी में नै
कौड़ी तीन हो...
ऐक्करा से
वियाह करके
हम्मर तो करमे फूटल हो...
बेलनटाइन डे पर
हम्मर कन्याय रूठल हो
औ एगो दोस्त
हमरा सताबो हो
फेसबुक के कई गो
महिला मित्र
ओकरा अपन
वैलेंटाइन बताबो हो
वैलेंटाइन बताबो हो
ईहो कलमूंहा
बड़की घूटल हो...
बेलनटाइन डे पर
हम्मर कन्याय रूठल हो..
मंगलवार, 27 जनवरी 2015
दर्दनाक मौत
ओबामा है
बुलेट रेल है
स्मार्ट सीटी है
परमाणु उर्जा है
गंगा सफाई है
सड़क सफाई है
उधोग है
उधोगपति है
बुलेट रेल है
स्मार्ट सीटी है
परमाणु उर्जा है
गंगा सफाई है
सड़क सफाई है
उधोग है
उधोगपति है
बहुत कुछ है
इस चकाचौंध में
बस नहीं है तो
एक अदद
रोटी नहीं है...
और नहीं है तो
गरीब की मौत
पे कोई मातम नहीं है...
इस चकाचौंध में
बस नहीं है तो
एक अदद
रोटी नहीं है...
और नहीं है तो
गरीब की मौत
पे कोई मातम नहीं है...
(मां और उसके तीन बच्चों के दर्दनाक आत्महत्या पे साथी के दर्द)
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