बस यूँ ही कभी कभी उदास होता हूँ।
कुछ दर्द टीसते है तो छुप के रोता हूँ।।
जिंदगी से गिला भी हो तो क्या होगा।
ख़ुशी वहीँ मिलती है, जहाँ खोता हूँ।।
जिंदगी में जब ग़मों का दौर होता है।
फिर जिंदगी में कहाँ कोई और होता है?
कुछ अपने भी होते है बेगाने की तरह।
कोई बेगाना अपना बना लेता है।।
कोई दगा देके साथ होता है।
कोई जिंदगी देके सिला देता है।।
कोई चुपचाप रोता रहता है।
कोई अश्कों को प्याला बना देता है।।
कुछ दर्द टीसते है तो छुप के रोता हूँ।।
जिंदगी से गिला भी हो तो क्या होगा।
ख़ुशी वहीँ मिलती है, जहाँ खोता हूँ।।
जिंदगी में जब ग़मों का दौर होता है।
फिर जिंदगी में कहाँ कोई और होता है?
कुछ अपने भी होते है बेगाने की तरह।
कोई बेगाना अपना बना लेता है।।
कोई दगा देके साथ होता है।
कोई जिंदगी देके सिला देता है।।
कोई चुपचाप रोता रहता है।
कोई अश्कों को प्याला बना देता है।।