(अरुण साथी)
आंय जी,
प्रेम विवाह के
दो दशक हुए आपने मुझे
कभी वेलेंटाइन विश नहीं किया..!
मैंने कहा, बंदरी
आजकल के लौंडे
कई को विश करते है।
एक को कॉल तो
दूसरी को मिस करते है।
तीसरी से व्हाट्सअप
तो चौथी से फेसबुक पे
चैटिंग है,
नए दौर के मजनुओं का
दर्जनों से सेटिंग है..
मेरे जैसा प्रेम करके
पत्नीव्रता होना
बकलोली है,
इसी लिए तो आपकी
इतनी बढ़ी हुई बोली है!
प्रेम प्रदर्शन नहीं
आत्माओं का मिलन है।
प्रेम ईश्वर का
प्रसाद है।
प्रेम समर्पण
और त्याग है।
बस क्या
बंदरी ने किस किया,
मुझको भी वेलेंटाइन विश किया..!