कितनी हसीन हो तुम
बिल्कुल अपनी कविता की तरह
तुम्हारे मुस्कुराहट की बुनावट
और तुम्हारी जुल्फों की घटा
तुम्हारे आंखों में तैरता सागर
और तुम्हारे गालों पर खिला गुलाब
जैसे इसी से चुराया हो तुमने शब्द...
और पिरो दिया हो अपनी संवेदना में
और रच दी हो एक कविता।
या फिर
तुम्हारी संवेदना
तुम्हारा दर्द
तुम्हारा इंतजार
तुम्हारा प्यार
तुम्हारे आंसू
तुम्हारी खुशी
जैसे
इसी से बनती हो कविता
और कहलातें हो हम सभी
कवि....
जैसे
इसी से बनती हो कविता
और कहलातें हो हम सभी
कवि....