कल महाशिवरात्री के दिन ही सृष्टी की रचना करने वाली एक बेटी ने इहलीला समाप्त कर ली। वह भी एक सैतेली मां की प्रताड़ना से आजीज होकर। या मामला प्रेम प्रसंग का भी हो सकता है, छानबीन कर रहा हूं। इससे पूर्व वह अपनी शिकायत लेकर थाना गई थी पर वहां से उसे भगा दिया गया।
शेखपुरा जिले के बरबीघा रेफरल अस्पताल के बेड पर वह कराह रही थी और मेरे आंखों से आंसू बह चले। अविरल। अस्पताल कर्मी अर्जुन लाल की बीस वर्षिय पुत्री नैना ने अभी जिंदगी की दहलीज पर कदम ही रखा था ओह...
(आंसू के साथ साथ ये शब्द भी छलक पड़े...)
कैसे निर्वस्त्र पड़ी थी
वह अधजली लड़की
कराहती हुई
रोकने की कोशीश
बेकार कर
बह चला आंखों का समुंद्र
ओह
आखिर कब तक
जलती रहेगी
बेटियां?
हे ईश्वर
तुम भी मुझे
अपनी ही तरह
पत्थर का बना क्यूं नहीं देते....