बुधवार, 24 सितंबर 2014

देवी दुर्गा

घर से लेकर बाहर तक, नारी का करते नहीं सम्मान।
फिर दुर्गा पाठ और मूर्ति पूजा का क्यूँ धरते हैं स्वांग।।

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मरती है बेटी कोख में, लुट जाती उसकी अस्मत।
दहेज़ से लेकर कामुकता से करते हैं देवी का अपमान।।


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करते है देवी का अपमान, कि हम है घोर अघोरी।
प्राणवान की पूजा नहीं और मूरत में ढूंढे प्राण।।

रविवार, 14 सितंबर 2014

चलो हिन्दी दिवस मनाते है..

राम-राम, नमस्ते भूल, हाय-हल्लो बतियाते है.
नेता हो या अभिनेता, हिन्दी से सब शर्माते है.
पर हिन्दी दिवस मनाते है...

बच्चों को भी काउ, डाॅग, एप्पल हम सिखलाते है.
इंग्लिश स्कूल भेजकर उनको, अपनी शान बढ़ाते है.
पर हिन्दी दिवस मनाते है..

रामू काका को अंकल कहते, दादा जी को ग्रेन्ड पा.
बाबूजी अब डैडी हो गए, माँ को माॅम बुलाते है.
पर हिन्दी दिवस मनाते है...

मनोहर पोथी, सिलौट, पहाड़ा सब भूल गए.
हम सब भारतवासी अब इंडियन कहलाते है.
चलो हिन्दी दिवस मनाते है.....