घर से लेकर बाहर तक, नारी का करते नहीं सम्मान।
फिर दुर्गा पाठ और मूर्ति पूजा का क्यूँ धरते हैं स्वांग।।
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मरती है बेटी कोख में, लुट जाती उसकी अस्मत।
दहेज़ से लेकर कामुकता से करते हैं देवी का अपमान।।
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करते है देवी का अपमान, कि हम है घोर अघोरी।
प्राणवान की पूजा नहीं और मूरत में ढूंढे प्राण।।
फिर दुर्गा पाठ और मूर्ति पूजा का क्यूँ धरते हैं स्वांग।।
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मरती है बेटी कोख में, लुट जाती उसकी अस्मत।
दहेज़ से लेकर कामुकता से करते हैं देवी का अपमान।।
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करते है देवी का अपमान, कि हम है घोर अघोरी।
प्राणवान की पूजा नहीं और मूरत में ढूंढे प्राण।।