शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

अन्तराल















अन्तराल..
दर्द और हंसी के बीच..

जो जुड़ा था
उसके टूटने से पहले,
होता है एक अन्तराल।

टूटना नये का आगमन है..
पूष की रात
और फिर
वसंत,
बीच का अन्तराल
पतझड!

ढूंठ था जहां कभी
वहां कलरव करते है विहग
वसंत
पतझड़
और अंतराल
जीवन का सबसे बड़ा सवाल....