यह कोई कहानी नहीं, मैं अपना दर्द आपके साथ बांटना चाहता हूं बस.......
प्रेम की अग्निपरीक्षा
रीना के सिसकने की आवाज से मेरी आंख खुल गई और मैं रीना को टहोकते हुए पूछा क्या बात है क्यों रो रही होर्षोर्षो वह कुछ नहीं बोली। उसके आंखों से अविरल आंसू झड़ रहे थे। उसकी सिसकियां धीरे धीरे तेज हो रही थी। इस बार मैंने उसे जोर से झकझोरा तब उसने हल्की सी जुिम्बश ली और मैं समझा की यह तो सोई हुई है और नीन्द में रो रही है। शायद कोई बुरा सपना देखा होगा। तब मैंने उसे जोर से झकझोरा तो वह अकचका कर क्या हुआ, क्या हुआ, कहती हुई उठ बैठी और जब मैंने उसे उसे बताया की तुम नीन्द में रो रही थी तो वह सचमुच मुझसे लिपट कर रोने लगी। बोली, पिताजी मर गए, यह सपना देख रही थी और सपने में रो रही थी। उसकी इस बात से मैं सिहर गया, एक नारी अपने आकांझाअो, अरमानों को किस हद तक सीने में दबा सकती है, आज एहसास हुआ। हम दोनों ने प्रेम विवाह किया है, वह भी घर से भाग कर और शादी के आज अठठारह साल हो गए और तब से आज तक रीना को उसके मायके से कोई सम्बंध नहीं है। उसके पिता और भाईयों की नज़र में वह मर चुकी हैं। शादी कें कुछ ही दिनों बाद रीना के परिजनों ने एक पुतला बना कर उसका दाह-संस्कार किया, तेरह दिनों का कर्मकाण्ड किया, सर मुण्डवाऐ, पण्डितो मों भोज दिया और घोषणा कर दिया गया आज से वह मर चुकी है। उस समय जब उसे इस बात का पता चला तो उसने गर्व से कहा था कि ``यह उसके प्रेम की अग्निपरीक्षा है।´´ और इन अठठारह सालों में कितने ही अच्छे बुरे दिन आये गए और हमारा सम्बंध और मजबूत होता गया। आज तक इतनों सालों में एक बार भी उसने अपने स्वाभिमान को डिगने नहीं दिया पर आज वह रो रही थी, उसके आंखों से अविरल आंसू वह रहे थे और मुझे लग रहा था कि यह आंसू मुझसे ही कोई सवाल पूछ रहा हो।
रीना के सपनों में रोने की वजह भी है। कल ही किसी ने बताया कि उसके पिताजी की हालत गम्भीर है और अब वे नहीं बचेगें। जबसे उसने यह सुना वह चिन्तित रहने लगी। इतने सालों से सहेजा उसका स्वाभीमान आज डिगने लगा। पिता से अन्तिम मुलाकात भी नहीं हो सकने की संभावना ने उसे डिगा दिया। रीना का अपने पिता के प्रति प्रेम तो नैसगिZक था पर उस पिता के लिए जिसने उसके लिए प्रेम करने की सजा अग्निपरीक्षा मुकर्रर की है।
हम दोनो बचपन से ही एक साथ खेलते हुए जवान हुए और आज जीवनसाथी के रूप में जी रहे है पर रीना के लिए प्रेम की सजा बहुत बड़ी थी शायद सती के अग्निकुण्ड में जलने जैसा और मैं शिव तो हूं नहीं की ताण्डव करू। बस अपने प्रेम को अग्नि कुण्ड में जलता देख रहा हूं।
अगले पोस्ट में जारी....................