शुक्रवार, 30 सितंबर 2022

ईरान

ईरान

(अरुण साथी)

एक दिन उठ खड़ी होगी बेटी
हर उस घर, गांव, 
समाज और देश से
जहां उसके मनुष्य 
होने पर सवाल
उठेगा
वहां से भी
उठ खड़ी होगी बेटी
जहां 
बेटी का जीवन
उसका अपना नहीं होगा


वहां से भी जहां
बेटी के लिए सजा
रखें है सोने के पिजड़े


वहां भी जहां
तय करेगा आदमी
एक स्त्री के
सांसों के नियम


और जला लेगी बेटी
बुर्का,
काट लेगी बेटी 
चोटी..

और टांग देगी
मर्दों की
तथाकथित मर्दानगी
उसके अपने ही
लंगोट में...

शनिवार, 17 सितंबर 2022

साहेब का चीता

1
साहेब,
आयातित चीतों को लाने में,
करोड़ों बहाते हैं।

जहाज सजाते हैं।
दिखावा करवाते हैं।

जनता की गाढ़ी कमाई को,
हवा में उड़ उड़ाते हैं..!

गोदी में बैठने वाले,
गुणगान भी गाते है।
नहीं अघाते है।

2
साहेब,
लोक कल्याणकारी वाले
लोक के तंत्र के राजा को
निम्मक चटा कर
मुफ्त खोर भी बताते हैं..!!