1
साहेब,
आयातित चीतों को लाने में,
करोड़ों बहाते हैं।
जहाज सजाते हैं।
दिखावा करवाते हैं।
जनता की गाढ़ी कमाई को,
हवा में उड़ उड़ाते हैं..!
गोदी में बैठने वाले,
गुणगान भी गाते है।
नहीं अघाते है।
2
साहेब,
लोक कल्याणकारी वाले
लोक के तंत्र के राजा को
निम्मक चटा कर
मुफ्त खोर भी बताते हैं..!!
शानदार
जवाब देंहटाएंसच में।
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१९-०९ -२०२२ ) को 'क़लमकारों! यूँ बुरा न मानें आप तो बस बहाना हैं'(चर्चा अंक -४५५६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आभार
हटाएंखरी बात।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंवैसे चीता लाने का प्रोजेक्ट तो कम से कम 20 साल पुराना है , जिसे अब पूरा किया गया ।
जवाब देंहटाएंयूँ व्यंग्य बढ़िया है ।
इसे सहजता से होने देना था। इतना ही
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