गुरुवार, 29 मार्च 2012

जीवन का कूड़ेदान














घर की सफाई करते
कूड़े़ को भी
उलट-पुलट
देख लेता हूं
कई बार..
बिना जांचे-परखे
कूड़ेदान में फेंकने का मलाल
रह जाता है
जीवनभर...
शायद कुछ महत्वपुर्ण हो?

जीवन की फिलॉस्फी भी
इसी तरह है
जाने कब, कहां, कैसे
जिसे हमने फेंक दिया
कूड़ा समझ कर
आज भी है उसके फेंके जाने का मलाल
सीने में एक टीस की तरह
शायद वह भी महत्वपुर्ण होता...

मंगलवार, 27 मार्च 2012

प्रेम-काव्य


प्रेम की कविता केवल वही नहीं लिखते 
जिन्होंने प्यार किया
या कि प्यार में धोखा पाया।

प्रेम की कविता वे भी लिखते हैं
जिन्होंने कभी प्रेम की चाहत की 
पर इजहार न कर सके।

प्रेम काव्य तो उनका भी होता है
जिनका पहला प्रेम पत्र
आज भी 
किताब की कब्र में 
चिरनिद्रा में सो रहा होता है।

प्रेम काव्य वे भी लिखते है
जो शब्दों के मोती के साथ
प्रियतम तक पहुंचाते है दिल की बात।

और प्रेम काव्य लिखते हुए
आज भी मिल जायेगी 
कई मीरा------


शनिवार, 10 मार्च 2012

एक रोटी और
















तन्हा बैठा, तो गूंज उठा शोर, अन्तः का।
शांति, तुफान के पुर्व की, या कि,
तुफानों में घिरे जीवन के मृत्यु का।

जो हो, पर अब
न तुम जूता पहन आने पर झगड़ती हो।
न मैं देर से चाय देने पर बिगड़ता हूं।।

न तुम एक रोटी और की जिद पकड़ती हो।
न मैं एक रोटी और मांगने को चिघड़ता हूं।।

और इस एक रोटी की भूख से
आत्म-क्षुधा रह रही है अतृप्त।
और कठपुतली बनी जिंदगी
ढुंढ रहा है विस्तृत।।

नंगा कर खड़ा कर दिया है दोनो को
हमारे स्पर्श की अस्पृश्यता ने।
ओह!
यह तो प्रेम की मृत्यु है
और
जीवन जीने की विवशता भी....

बुधवार, 7 मार्च 2012

बुरा न मानो होली हे


अबकी फागून, लालू भैया को नहीं रहो हे भाय।
पावर गये तो कुर्ता फाड़ होली, कोय नै खेले आय।।
जोगीरा सारा रा रा
राबड़ी भौजी भी अब रहने लगी उदास।
भांग के शरबत औ मलपूआ, खाले कोय न आय।।
जोगीरा सारा रा रा
का से कहें सुशासन बाबू, आपन जीया के बात।
जंगलराज के जनावर सब उनके हींया चिल्लात।।
जोगीरा सारा रा रा
मीडिया के महंथ सब होली में खूबे रंग रहो जमाय।
स्टिंगर सब बिन पैसा के बीबी से झाडू खाय।।
जोगीरा सारा रा रा
अब तो मीडिया भी रंडी भयो हे जात।
जेकर अंटी नोट दिखे, ओकर नाच दिखात।।
जागीरा सरा रा रा
फागून महिना मस्त है, गोरियो के मन बौराय।
पियबा बैठ परदेश में, केकरा से फगूआ मनाय।।
जोगीरा सारा रा रा
आमा के गाछी पर देखा मंजरा महके हे मह मह।
देख यौबनमां भौजाई के देवरा के जियरा दहके हे दह दह।।
जोगीरा सारा रा रा
और कहो तों राहुल बाबा, कैसन तोहर हाल।
राजशाही छोड़ के देखा कैसे मंहगी में जीयल जाल।।
जोगीरा सारा रा रा
और सुनाओ सुषमा भौजी, ठुमका के कैसन रहल जमाल।
राजघाट पर नचली ता युपी में दिखल कमाल।।
जोगीरा सारा रा रा






आओ खेले फाग


आओ खेले फाग
राग द्वेष बिसुरा दें
सतरंगी खुशियां बांटे
गैरों को गले लगा लें।

जीवन हो उमंग
रंग चहुं ओर मिला दें
राग, पराग, गुलाब,
खुश्बू सगर फैला दें।

मन मंे, तन में
और जतन में
प्रेम रंग छलका दें।
करम, धरम हो एक,
संदेसा चलो सुना दें।

चेहरा हो रंगीन औ मन में हो कादा,
बाहर भीतर हम दिखे क्यों आधा आधा,
हो न ऐसा दोहरा जीवन
करलो तुम यह वादा।

अरूण साथी की ओर से आप सबको होली की रंग बिरंगी शुभकामनाएंे......






आशा ही नहीं पुर्ण विश्वास है
होली का असर छा गया होगा....
और ब्लैक से नहीं खरीदना पड़े
पहले ही वीयर घर आ गया होगा।




(फोटो-मेरा नटखट बेटा.)