शनिवार, 31 दिसंबर 2016

महुआ महके..

महुआ महके तोर अंगना में,
सूरजमुखी खिल जाये।
बेला, जूही, हरसिंगार सन,
जीवन खुशबु  से भर जाये।।

सरसों फूलो, मांजर महके,
धान, गेहुम लहराये।
केतारी सन रसगर हो जीवन,
मटर, मकई नियर गदराये।।

कोयल कूके, बुलबुल गाये,
तोता, मैना शोर मचाये।
आये गोरैया, पानी पिए,
अंगना में, धप्चुहिया मुस्काये।।

चुमनुमिया चिरैया शोर मचाये,
कागा आके भोर जगाये।
खिले गुलाब, गेंदा गोदी में,
कहे "साथी" बथान में गोरु-गाय डोंराय।।

*नव बर्ष की मंगलकामनाएं..*
अरुण साथी, पत्रकार, बरबीघा, (बिहार)

सोमवार, 26 दिसंबर 2016

आम आदमी

भागमभाग
उठापटक
कभी उधर
कभी इधर
सपने-हकीकत
घर-परिवार
दोस्ती-यारी
देश-समाज
दाल-रोटी
की जद है जिंदगी..
**
घिसे चप्पल
सिले जूते
चिप्पी पैंट
फटे जेब
फटी चादर
और लंबे पैर
की हद है जिंदगी..
**
एक चुटकी ईमानदारी
मुठ्ठी भर बेईमानी
मन भर आत्मा
छटाँक भर परमात्मा
बड़े बड़े बोल
कर्म, कुकर्म
बस यही सब
कशमकश है ज़िन्दगी...
***
सुबह सूरज उगे
कि फूल खिले
पंछी के गीत हो
कि शाम ढले
नया साल आये
कि पुराना साल जाये
आम आदमी के लिए
तो बस
जद्दोजहद है जिंदगी..
(27-12-16)