गांव और मैट्रो की जिन्दगी में
थोड़ी सा फर्क होता है
बेमौसम बारिस
और ओला गिरने पर
सोशल मीडिया पे
मैट्रोवासी
और
एफएम पे आरजे
चुहल करते हुए
खुशनुमा मौसम के
कसीदे गढ़ते हैं.....
पर गांव में
बर्बाद हुए खेत को देख
किसान
आत्महत्या करते हैं.....!!
(एफएम रेडियो पर अभी अभी आरजे की चुहल को देखते हुए यह मेरी संवेदना के शब्द है, यदि किसी आरजे तक मेरी संवेदना पहूंचे तो प्लीज इसे प्रसारित करने का साहस करेगें....यह किसान का दर्द है जिसके खून पसीने की रोटी आप भी खाते है.....अरूण साथी, बरबीघा, बिहार...और शेयर करने वालों मित्रों से अनुरोध होगा कि साभार में मेरा नाम देने का कष्ट करें....)
थोड़ी सा फर्क होता है
बेमौसम बारिस
और ओला गिरने पर
सोशल मीडिया पे
मैट्रोवासी
और
एफएम पे आरजे
चुहल करते हुए
खुशनुमा मौसम के
कसीदे गढ़ते हैं.....
पर गांव में
बर्बाद हुए खेत को देख
किसान
आत्महत्या करते हैं.....!!
(एफएम रेडियो पर अभी अभी आरजे की चुहल को देखते हुए यह मेरी संवेदना के शब्द है, यदि किसी आरजे तक मेरी संवेदना पहूंचे तो प्लीज इसे प्रसारित करने का साहस करेगें....यह किसान का दर्द है जिसके खून पसीने की रोटी आप भी खाते है.....अरूण साथी, बरबीघा, बिहार...और शेयर करने वालों मित्रों से अनुरोध होगा कि साभार में मेरा नाम देने का कष्ट करें....)