बुधवार, 8 नवंबर 2023

धान और किसान

धान और किसान 

अरुण साथी

तुमने जहर बोया
हमने धान बोया
तुम बारुद उगाओ
हम धान उगाएगें



तुम धृणा बांटो
हम धान बांटेगें
तुम भूख दोगे
हम धान देगें



तुम आश्वासन दोगे
हम धान देगें
तुम नेता हो
हम किसान हैं

(तस्वीर और शब्द दोनों अरुण साथी )

4 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है सराहनीय अभिव्यक्ति सर।
    किसान सदैव सियासी मोहरा ही रहा है जिन्हें अपनी सुविधानुसार शह और मात के खेल में शामिल किया जाता है।
    सादर
    ---------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० नवम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. खूबसूरत अभिव्यक्ति...🙏🙏🙏

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  3. गजब, सुंदर प्रस्तुति।
    दीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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