दासी लोकतंत्र
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साथी उवाच
"क्यों
जनतंत्र में
मालिक जनता
भूखी और प्यासी है?
राजा के घर क्रंदन
क्यों है?
क्यों मुख पे
छाई उदासी है?"
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बकलोल उवाच
"क्योंकि
लोकतंत्र तो
वंशवादी,
जातिवादी,
धर्मवादी,
नेताओं के
चरणों की दासी है।।।
(शपथ ग्रहण के बाद उत्तरप्रदेश के मुखिया मुलायम सिंह के पैरों में लटके मंत्री गायत्री प्रजापति प्रसंग पे)
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-09-2016) के चर्चा मंच "उत्तराखण्ड की महिमा" (चर्चा अंक-2481) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'