मैं कवि नहीं हूं।
मेरे पास नहीं है
सारगभिZत शब्दों का कोष
मैं नहीं जानता
व्याकरण की व्याख्या
न ही मैं कर सकता
समायोजन
भाव और शब्द में।
फिर भी
मैं लिखता हूं
कविता
क्योंकि
जीवित मेरी संवेदना
मुझे उद्वेलित करते हैं
सामाजिक विसंगतियों के संजाल,
मैं बह जाता हूं
अपनी भावनाओं के साथ
और
मेरी लेखनी उगल देती है कुछ व्याकुल शब्द.........
bahot achche.
जवाब देंहटाएं