बुधवार, 3 अगस्त 2016

धुंधले रिश्ते

जिंदगी अब कहाँ किसी
सिरहाने टिकती है।
हर एक रिश्तों की अब
धुंधली सी तस्वीर दिखती है।।

◆कोई होकर भी अपना,
कभी अपना न हुआ।
किसी की जिंदगी गैरों
की खातिर ही बिकती है।।

◆जाने क्या रिश्ता है
अपना उनसे।
वो पगली मुझे देख कर
बेवजह हंसती है।।

◆देखा है अलग अलग
चेहरे रिश्तों के यहाँ,
सुना है रिश्ते भी अब
ब्यूटी पार्लरों में सजती है।।