शुक्रवार, 29 मार्च 2024

प्रेम की कविता


#प्रेम की #कविता
(अरुण साथी)
वह रोज मिल जाती है
कभी बीच सड़क
कभी गली में
कभी छत पे
कभी झरोखे से

कभी कभी
मिल जाती है
सपनों में भी

नज़रें मिलते ही
वह आहिस्ते से
मुस्कराती है

फिर नजरे झुका
चली जाती है
बस...


शुक्रवार, 1 मार्च 2024

आदमी, कुत्ता और कचरा

आदमी, कुत्ता और कचरा
कचरे का बड़ा ढेर
कचरे के ढेर को 
आदमी ने बड़े ही जतन से 
संग्रहित किया 
बरसों की मेहनत 
एक-एक कचरा से 
खड़ा किया साम्राज्य 
कचरे का 

और घोषित किया 
स्वयं को राजा 

हम ऐसे आदमी को 
विक्षिप्त कहते हैं 

और आश्चर्य तो यह कि 
वह भी हमें यही समझता है...

शेखपुरा रेलवे स्टेशन के पास इस तस्वीर को कैद करने के बाद मेरे शब्द..

शनिवार, 20 जनवरी 2024

राम ने कहा

राम ने कहा

सुनो वत्स

मुझे मर्यादा पुरुषोत्तम 

जानते है सब 

मुझे मर्यादा में ही रहने दो


बाल्मिकी और तुलसी

की भावनाओं के साथ ही मुझे 

जन जन के जीवन में बहने दो


मर्यादा टूटी तो 

मुझे कौन पुरुषोत्तम मानेगा


फिर 

रावण को भी गुणी मान

कौन अपने भ्राता

को उसके चरणों  में भेज

जीवन का सूत्र  जानेगा...


मुझे दिव्य दिगंबर

बना दोगे तो

सबरी के जूठे 

बेर कौन खायेगा


केवट की नाव चढ़

कौन उस पार जायेगा


फिर माता अहिल्या

शिला ही रहेगी

इस तरह फिर

कौन उद्धारक आयेगा


मुझे तो जटायु

हनुमान, बानर

के साथ ही रहने दो


स्वर्ण महलों के मुझे बिठाओगे

तो भला  रावण वह,

जिसकी सोने की लंका थी

किसी को कैसे बताओगे


रावण वह

जिसने साधु के भेष

में सीता हरण किया

किसी को कैसे समझाओगे


सुनो वत्स..सुन लो..