गुरुवार, 28 जुलाई 2011

जब भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा तब क्या बचेगा?

एक मित्र ने फेसबुक पर लिखा

जब भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा तब क्या बचेगा?
और मैने जबाब दिया.
तब रहेगी-
गरीब-गुरबों की खुशी

दबे-कुचलों की हंसी

तब हंसेगा अपना भारत

तब बसेगा सच्चा भारत

तब खिलेगें खलिहानों में फूल

तब मिलेगे झोपड़ी में गुल

तब कहीं कोई नहीं कराहेगा

दुनिया अपने भारत को सराहेगा..

बुधवार, 27 जुलाई 2011

अब कहां वो बात ?

कितना शकून था 
जब दो-एक कमरे का घर था 
और थी एक मुठ्ठी  
अपनी खुशी  
अपना गम  
अपनों का रूठना-रिझाना..  
उसी छप्पर के नीचे  
लड़ते झगड़ते  
गीत गाती थी 
जिंदगी  
रून-झुन रून-झुन...भादो में मेघ का टपक कर
थकी नींद से जगाना,  
मेरा झुंझलाना  
टपकती हुई मेध के नीचे  
तुम्हारा कटोरा लगाना...  
तब सब कुछ था अपना सा

प्रियतम, 
अब है कहां वह बात 
मिलन करा दे,
डराती धमकाती 
अब है कहां वह रात..

इस मकान में, है बहुत कुछ 
पर अपना सब कुछ खो गया है!  
गुंजती है 
वह तो तीसरी मंजिल पर जा कर सो गया है..?

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

जलती जिंदगी


ठीक सूरज के छुपने से पहले
हाथ में लग्गी ले, आया एक सौतार का बेटा
महुआ की दूर भागती टहनियों से कहा
‘‘तुम मेरी भूख से ज्यादा दूर नहीं भाग सकते’’
फिर वह बन गया बंदर
कभी इस डाली
कभी उस डाली
भूख से लड़ते हुए
उसने वामन सा नाप दिया
पूरा ब्रहमांड
अपने जीवन को लगाकर दांव पर
उसने पाया
एक गठरी सूखी लकड़ी
घर की ओर जाते
वह गुनगुना रहा है!
वह खुश है
आज फिर वह भूखा नहीं सोएगा......