जलती जिंदगी
ठीक सूरज के छुपने से पहले
हाथ में लग्गी ले, आया एक सौतार का बेटा
महुआ की दूर भागती टहनियों से कहा
‘‘तुम मेरी भूख से ज्यादा दूर नहीं भाग सकते’’
फिर वह बन गया बंदर
कभी इस डाली
कभी उस डाली
भूख से लड़ते हुए
उसने वामन सा नाप दिया
पूरा ब्रहमांड
अपने जीवन को लगाकर दांव पर
उसने पाया
एक गठरी सूखी लकड़ी
घर की ओर जाते
वह गुनगुना रहा है!
वह खुश है
आज फिर वह भूखा नहीं सोएगा......
मार्मिक. सौतार के बेटे की भूख जग को दिखती कहाँ हैं!
जवाब देंहटाएंbhawpoorn......bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंउसकी खुशी देख मन को अजब सा सुकून मिला..मर्मस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंBehad khubsoorat prastuti
जवाब देंहटाएंमन को छू जाने वाली रचना जिसने मुग्ध और निशब्द कर दिया......
जवाब देंहटाएंसोच और लेखन ,दोनों प्रणम्य...
sachai ko bayan karti kavita. sunder.
जवाब देंहटाएंwww.nature7speaks.blogspot.com
भूख से लड़ते हुए
जवाब देंहटाएंउसने वामन सा नाप दिया
पूरा ब्रहमांड
यह प्रतीक बहुत पसंद आया।
कविता के कथ्य में नवीनता अच्छी लगी।
बहुत ही मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंसटीक ... सच है भूख ही तो है जो सुख चैन और मस्ती देती है .. मार्मिक रचना ...
जवाब देंहटाएंmarmsparshi rachna prastuti ke liye aabhar!
जवाब देंहटाएंदिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद मार्मिक अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
bahut payri si abhivyakti...kahin andar ek sukun mila....!
जवाब देंहटाएंआआज की आपा धापी इसी एक वल्क्त की भूख के लिये ही तो है।क्या नही करता कोई भूख के लिये। मार्मिक रचना।
जवाब देंहटाएंअरुण साथी जी हार्दिक अभिवादन -मन को छू जाने वाली निम्न पंक्तियाँ -भूख न जाने क्या क्या करा देती है -कौन समझता है इस बड़े दर्द को आज ..न हम न सरकार .
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव -बधाई
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
अपने जीवन को लगाकर दांव पर
उसने पाया
एक गठरी सूखी लकड़ी
घर की ओर जाते
वह गुनगुना रहा है!
वह खुश है
आज फिर वह भूखा नहीं सोएगा
.
जवाब देंहटाएंBeautiful presentation Arun ji ! After a stage the person behaves in the same way as expressed in the poem....
भूख से लड़ते हुए
उसने वामन सा नाप दिया
पूरा ब्रहमांड...
.