शनिवार, 21 अगस्त 2010

पाकिस्तान में पानी की तबाही.......








शकून के पल.... गांव की एक दोपहर














खेलते बच्चे........


मंदिर के पास अराम करती महिलए.....


यगशाला में ताश खेलते मर्द.....

शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

नरेन्द्र मोदी को बिहार अवश्य आना चाहिए......

नरेन्द्र मोदी के लिए सबसे पहले टुडे ग्रुप के संपादक प्रभु चावल की टिप्पणी को उदिृत करना चाहूंगा जिसके अनुसार नरेन्द्र मोदी से सभी नफरत करते है सिबाय जनता के। इण्डिया टुडे के हालिया सर्वे में मोदी के देश के नंबर 1 मुख्यमन्त्री है। अब बिहार में होने बाले चुनाव में अभी सबसे बड़ा मुददा यही है कि नरेन्द्र मोदी और बरूण गांधी को बिहार आना चाहिए या नहीं। मेरा मानना है कि नरेन्द्र मोदी को बिहार अवश्य आना चाहिए, खास कर मोदी का बिहार दौरा देश की भावी राजनीति को तय करेगा।

आज देश की राजनीति जिस करबट ले रही है बैसे समय में एक बार फिर बिहार देश को राजनीतिक दिशा दे सकता है। आज देश के लिए सबसे प्राणधातक पहल मुस्लिम तुस्टीकरण के नाम पर आतंकबादियों का तुष्टीकरण है। आने वाले दिनों में वोट की यह राजनीति देश को डुबोएगी। मेरा मानना है कि देश की राजनीति आज जहां खड़ी है वहां आतंकबाद से भी बड़ मुददा आतंकबाद के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण नीति के साथ साथ हिन्दू आतंकबाद जैसे शब्द को प्रयोजित करना है। अब जबकि सीबीआई ने मोदी को िक्लन चिट दे दी है तब नीतिश कुमार को भी एक मौका मिला है और वह भी तुष्टीकरण की इस नीति का परित्याग कर आगे बढ़े। धर्मनिरेपक्षता के आड़ में दोहरी नीति चलाने बाले राजनीतिज्ञों के दो चेहरे सामने आना ही चाहिए। जब बिहार में जामा मिस्जद के इमाम बुखारी बिहार में चुनावी गुहार लगा सकते है तब नरेन्द्र मोदी और बरूण गांधी क्यों नहीं। भाजपा को आगे आकर सत्ता की छोटी सी चाह को दरकिनार कर देश के भविष्य की सोचनी चाहिए।

बुधवार, 18 अगस्त 2010

दुष्यंत कुमार - तीन गजल

कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए
कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए
कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए

यहाँ दरख़तों के साये में धूप लगती है
चलो यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए

न हो कमीज़ तो पाँओं से पेट ढँक लेंगे
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए

ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए

तेरा निज़ाम है सिल दे ज़ुबान शायर की
ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए

जिएँ तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए


आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख
आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख
घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख

एक दरिया है यहाँ पर दूर तक फैला हुआ
आज अपने बाजुओं को देख पतवारें न देख

अब यक़ीनन ठोस है धरती हक़ीक़त की तरह
यह हक़ीक़त देख, लेकिन ख़ौफ़ के मारे न देख

वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे
कट चुके जो हाथ ,उन हाथों में तलवारें न देख

दिल को बहला ले इजाज़त है मगर इतना न उड़
रोज़ सपने देख, लेकिन इस क़दर प्यारे न देख

ये धुँधलका है नज़र का,तू महज़ मायूस है
रोज़नों को देख,दीवारों में दीवारें न देख

रख्ह,कितनी राख है चारों तरफ़ बिखरी हुई
राख में चिंगारियाँ ही देख, अँगारे न देख.

मैं जिसे ओढ़ता—बिछाता हूँ

मैं जिसे ओढ़ता—बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ

एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ

तू किसी रेल—सी गुज़रती है
मैं किसी पुल—सा थरथराता हूँ

हर तरफ़ ऐतराज़ होता है
मैं अगर रौशनी में आता हूँ

एक बाज़ू उखड़ गया जबसे
और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ

मैं तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने क़रीब पाता हूँ

कौन ये फ़ासला निभाएगा
मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ

रविवार, 1 अगस्त 2010

"If you are in trouble, if you need a hand, just call my number, because i'm your friend "



"If you are in trouble,
if you need a hand,
just call my number,
because i'm your friend " 

"If you are in trouble,
if you need a hand,
just call my number,
because i'm your friend "