सोमवार, 26 अगस्त 2013

सुबह सुबह की थोड़ी चुहलबाजी.... इरशाद कहिए..

1
वोट बैंक
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सोनिया मैडम लेकर आई रोटी
मोदी कहते राम नाम की फेरो माला
कहत साथी सुने भाई मतबाला
भूखे भजन न होई गोपाला...

2
रिस्क
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कोई राम तो कोई रहीम के नाम पे
कर रहा है मैच को फिक्स
गरीबी, बेकारी, मंहगाई को छूने में
है बड़ा ही रिस्क...

3
रेलमपेल
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नीतीश जी के राज में हो गेलो दारू के रेलमपेल
बड़का औ छोटका सब कलाली में कर रहलो है ठेलढकेल।

गुरुवार, 22 अगस्त 2013

नेता जी उवाच-नाच जमूरे नाच

चुनाव आते ही नेता धर्म की डुगडुगी बजा रहंे हैं।
जमूरे की तरह हमको अपने ईशारे पर नचा रहें हैं।

कहीं टोपी पहन, हमको ही टोपी पहना रहें हैं।
तो कहीं रोटी की जगह शंख फुकबा रहें हैं।

मंहगाई, भूख और भ्रष्टाचार हमसब भूल जा रहें है।
लोमड़ी बन नेता हमारी रोटियों छीन कर खा रहंे हैं।।

बांटो और राज करो का ब्रिटिश फॉर्मुला नेता आजमा रहें है।
गांधी, भगत सिंह और नेताजी की कुर्बानियों को हम भूल जा रहें है।।





शनिवार, 3 अगस्त 2013

फ्रेंडशिप डे

फेसबुक फ्रेंड का इतना सा बास्ता है।
कॉमेंट गिव एण्ड टेक का यह सिंपल सा रास्ता है।।

फेसबुक की ही तरह अब दोस्ती भी मॉडर्न हो गई।
दुख-दर्द में साथ देने का अब चलन ही खो गई।।

फेसबुक फ्रेंड भी अजब गजब होते है।
लड़की के चेहरे में छुपकर लड़के मौज लेते है।।

फेसबुक को कुछ ने मौज मस्ती का साधन बनाया है।
इसलिए अपने शादी शुदा होने की बात को छुपाया है।।

फेसबुक पर कुछ तो कृष्ण-सुदामा की तरह होते है।
कुछ अपनी विलुप्त जमींदारी को यहां भी ढोते है।।

फेसबुक का यह भी आज हो रहा है कमाल।
सात समुंद्र पार से अपने गांव का ले रहा है हालचाल।।


गुरुवार, 1 अगस्त 2013

किसान की छाती

धरती की छाती पर बुन आया है किसान
अपने बेटी के ब्याह की उम्मीद..
उगा आया है खेत में
कुछ रूपये
मालिक के मूंह पर मारने को
जिससे दरबाजे पर चढ़
मालिक रोज बेटी-रोटी करता है...

और इस साल भी
पैरों में फटी बियाई की तरह
फटे खेत को देख
फट रहा है किसान का कलेजा..

अगले साल फिर से
खेतों बोयेगा किसान
एक उम्मीद
एक सपने
और एक नई जिंदगी की आश

सोंचों
घरती की छाती चौड़ी होती है
या कि किसान का.....