बुधवार, 3 मार्च 2010

काला अंग्रेज

यह लूट-खसोट
भ्रष्टाचार
हिंसा
खून की होली
यह विध्वंस
अक्षम्य अपराध
कितने बेलज्ज हो तुम
परतन्त्रता तुमने झेली नहीं न
इसलिए आजादी रास नहीं आ रही
या फिर वषो गुलाम रहकर
बन गए हो तुम भी 
``काले अंग्रेज´´
पर
देना होगा तुम्हें भी हिसाब
तुम बच नहीं सकते 
गुलामी की बेड़ियां काट
जिन्होंने तुम्हे नर्क से निकाला
तुम हुए स्वतन्त्र


एक दिन 
वे शहीद आयेगें फिर
और मांगेगें तुमसे 
तुम्हारे किये का हिसाब....

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा । बहुत सुंदर प्रयास है। जारी रखिये ।

    आपका लेख अच्छा लगा।

    हिंदी को आप जैसे ब्लागरों की ही जरूरत है ।


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