शनिवार, 14 नवंबर 2020

#दीया और #आदमी

#दीया और #आदमी
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वह जल रहा है
अनवरत
टिमीर टिमीर
टिमटिम
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मद्धिम सी लौ
सारे जहां को
कहाँ कर पाती रौशन
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हवा के थपेड़े
बाती का संघर्ष
तेल का तपन
माटी का दीया
दीया तले अंधेरा
और लौ की टिमटिम
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सोंच रहा हूँ
दीया और 
संघर्षशील आदमी
कितना समान है..

8 टिप्‍पणियां:

  1. मंगलकामनाएं दीप पर्व पर। सुन्दर सृजन।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार (१६-११-२०२०) को 'शुभ हो दीप पर्व उमंगों के सपने बने रहें भ्रम में ही सही'(चर्चा अंक- ३८८७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  3. 'दीया और
    संघर्षशील आदमी
    कितना समान है..,'
    सचमुच!

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  4. बेहतरीन रचना..
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🚩

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