बुधवार, 17 अप्रैल 2013

देशबा के हाल ( मगही कविता)


(तनि अपन बोली, तनि अपन भाषा। आय सांझ एगो मगही कविता के मन होलै से लिख दिलिऐ। मुदा अपने सबके कैसन लगलै बतैथिन।)

देशबा के हाल
देशबा के हाल भौजी निराला हो गेलो।
लूटेरबा सब हिंया रखबाला हो गेलो।।
देशबा के हाल भौजी निराला हो गेलो।

भूखल मरो हो हरजोतबा किसान।
औ लूटेरबन के रूपैये निबाला हो गेलो।।
देशबा के हाल भौजी निराला हो गेलो।

मांग हलो भोट जे हाथ जोर जोर।
एमएलए बनते मुंहझौंसा मतबाला हो गेलो।।
देशबा के हाल भौजी निराला हो गेलो।

गरीबको के बेटबा जब बनो है एसपी कलेकटर।
ओकरो ले रूपैये शिवाला हो गेलो।।
देशबा के हाल भौजी निराला हो गेलो।