रविवार, 8 मार्च 2020

मरकर जीना..अच्छा होता है..

सुनो स्त्री
तुम खुश मत होना
महिला दिवस पे बधाई पाकर
क्योंकि ये वही लोग है
जो उपासना के बाद
कन्या पूजन कर
तुमको निर्भया बनाते है...

ये वहीं हैं
जो तीन तलाक
बुरके, हलाला
को मर्यादा कहते नहीं अघाते है..


ये वहीं है 
जो घरों से बाहर 
निकलते ही
तारते है तुम्हारे
उरोज, नितंब
और मुस्कराते है...

ये वहीं है
जिनकी हर गाली में
तुम्हारी अस्मिता 
तार तार होती है
फिर भी तुमको 
माँ, बहन और बेटी बताते है...

हाँ ये वहीं हैं
जो बलात्कारी को नहीं
तुम्हें कठघरे में लाते है
तुमको ही लजाते है
दहलीज से बाहर
कदम रखते है
तुम्हें कुलटा बताते है

ये वहीं है
जो बेच कर बेटों को
अपनी शान दिखाते है
फिर जला कर तुम्हें
अपनी मर्दांगी दिखाते है

सुनो स्त्री
न तुम पहली स्त्री हो
जिसके बोलने पे
जुबान काट दी गयी
न तुम आखरी स्त्री होगी
जो अपनी आज़ादी के लिए
लड़ते हुए जिबह कर दी जाओगी
समाज के न्यायालय में

हाँ, सुनो स्त्री
ये वही लोग है
तुम इनके हाथों लड़कर शहीद होना 
कबूल कर लेना
क्योंकि
जीते जी मरने से अच्छा
मरकर जीना होता है...

गुरुवार, 5 मार्च 2020

लाशखोर कौन..?

(यह तस्वीर मेरे बरबीघा की है। उसी को देख शब्द रूप वेदना है..)
यह नवजात लाश
किसकी है
और इसे नोंच कर खाने 
वाला कौन है..
ठीक से देखिये
**
हो सकता है
यह कर्ण हो और
हत्यारिन माँ कुंती..
और पिता 
सूर्य जैसा 
कोई प्रतापी
भगवान...
**
हो सकता है
चंदन टीका लगाए
कोई गिद्ध हो
जो हर रात एक 
नया शिकार
करता हो और
सुबह न्यायाधीश बन
फैसला सुना रहा हो...
***
हो सकता है
दहेज की बलि
बेदी पे चढ़ने से पूर्व
कोई बेटी हो
और उसकी लाश को
नोंच नोंच 
कर खाने वाला
हमारा समाज..
**
हो तो यह भी
सकता है कि
मलाला जैसी
कोई बेटी हो
जिसने अपने 
अधिकार
स्वावलंबन
गरिमा
सम्मान
की बात कर दी हो
और तालिबानी समाज
ने उसे सजाए मौत दे दी हो..
(यह तस्वीर ब्लर की गई है। कभी कभी सच को खुली आंखों से देखने का साहस जरूरी है..)