शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

रे हैवान---



(दामिनी को समर्पित)

क्या तू मां की कोख से
जनम नहीं लिया..
या कि
तू नहीं जुड़ा था
अपनी मां के
गर्भनाल से
जिससे  रिस रिस कर
भर गया जहर तुझमें...

रे हैवान
क्या तेरी मां ने नहीं
पिलाया था दूध
तुझे अपनी छाती  का...
या कि तेरी मां ने
नहीं सही थी
प्रसव की असाह्य पीड़ा...

रे हैवान
निश्चित ही तुझे
किसी मां की कोख ने
नहीं जना होगा..
तभी तो तू
नहीं जान सका
कि आखिर
हर औरत में एक मां होती है...

रे हैवान
रे हैवान
रे हैवान


शनिवार, 15 दिसंबर 2012

तोहमत


1
तोहमत लगाने का जहां में चलन है साथी,
किसी से मत कहना कि तुम पाक दामन हो।।
2
जमाने की निगाहों से कभी खुद को न देखो साथी,
खुदा ने सबको इक रूह का चश्मा दिया है।
3
वो फितरतन फरेबी हैं, तुम परेशां क्यूं हो साथी,
बुरे को इक दिन बुरा मान जाएगें लोग।