बुधवार, 2 दिसंबर 2020

कट्टरपंथी

वे ईश्वर के नाम पर
फ्रांस में गला काटने का
विरोध करते हैं

वे फ्रांस के शार्ली हेब्दो में 
कार्टून बनाने पर 
नरसंहार की निंदा करते हैं

वे आतंकवाद को 
इस्लामी आतंकवाद 
कहते हैं

वे स्त्री स्वतंत्रता
अभिव्यक्ति की आजादी पर
पाकिस्तान में प्रतिबंध
को तालिबानीकरण कहते है


वही लोग दीपावली के 
पटाखों में धर्म देखते हैं 

सिनेमा में धर्म
पे सवाल उठते ही
उठ खड़े होते है

वही लोग तनिष्क के विज्ञापन 
पर बवेला करते हैं 

वही लोग प्रेम को
लव जिहाद से परिभाषित 
करते है

कौन है ये लोग
जो उन्हीं के जैसा होना चाहते हैं..



शनिवार, 14 नवंबर 2020

#दीया और #आदमी

#दीया और #आदमी
**
वह जल रहा है
अनवरत
टिमीर टिमीर
टिमटिम
**
मद्धिम सी लौ
सारे जहां को
कहाँ कर पाती रौशन
**
हवा के थपेड़े
बाती का संघर्ष
तेल का तपन
माटी का दीया
दीया तले अंधेरा
और लौ की टिमटिम
**
सोंच रहा हूँ
दीया और 
संघर्षशील आदमी
कितना समान है..

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

देवदासी

देव-दासी
**
सुनो स्त्री
जंजीर सिर्फ लोहे की
ही नहीं होती
वह पांव में पायल
गले में मंगलसूत्र
माथे पे सिंदूर
हाथों में चूड़ियां
या फिर
करवा चौथ
तीज
जैसे 
कथित पवित्र प्रेम के 
रिश्तों की भी होती है

सदियों के लिए तुम्हें
गुलाम बनाया गया है
देव-दासी...

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

पुनर्नवा

ठीक उसी दिन
जिस दिन
उसने मुझे
मौत दी थी
मेरा नया 
जन्म हो गया..

शनिवार, 11 अप्रैल 2020

लाक्षागृह

निज स्वार्थ 
सिद्धि में 
जब भाई को मारने 
भाई ही लाक्षागृह
सजायेगा

उस समय तो 
पांडव बच गए 
आज का भाई तो
मारा ही जाएगा

रविवार, 8 मार्च 2020

मरकर जीना..अच्छा होता है..

सुनो स्त्री
तुम खुश मत होना
महिला दिवस पे बधाई पाकर
क्योंकि ये वही लोग है
जो उपासना के बाद
कन्या पूजन कर
तुमको निर्भया बनाते है...

ये वहीं हैं
जो तीन तलाक
बुरके, हलाला
को मर्यादा कहते नहीं अघाते है..


ये वहीं है 
जो घरों से बाहर 
निकलते ही
तारते है तुम्हारे
उरोज, नितंब
और मुस्कराते है...

ये वहीं है
जिनकी हर गाली में
तुम्हारी अस्मिता 
तार तार होती है
फिर भी तुमको 
माँ, बहन और बेटी बताते है...

हाँ ये वहीं हैं
जो बलात्कारी को नहीं
तुम्हें कठघरे में लाते है
तुमको ही लजाते है
दहलीज से बाहर
कदम रखते है
तुम्हें कुलटा बताते है

ये वहीं है
जो बेच कर बेटों को
अपनी शान दिखाते है
फिर जला कर तुम्हें
अपनी मर्दांगी दिखाते है

सुनो स्त्री
न तुम पहली स्त्री हो
जिसके बोलने पे
जुबान काट दी गयी
न तुम आखरी स्त्री होगी
जो अपनी आज़ादी के लिए
लड़ते हुए जिबह कर दी जाओगी
समाज के न्यायालय में

हाँ, सुनो स्त्री
ये वही लोग है
तुम इनके हाथों लड़कर शहीद होना 
कबूल कर लेना
क्योंकि
जीते जी मरने से अच्छा
मरकर जीना होता है...

गुरुवार, 5 मार्च 2020

लाशखोर कौन..?

(यह तस्वीर मेरे बरबीघा की है। उसी को देख शब्द रूप वेदना है..)
यह नवजात लाश
किसकी है
और इसे नोंच कर खाने 
वाला कौन है..
ठीक से देखिये
**
हो सकता है
यह कर्ण हो और
हत्यारिन माँ कुंती..
और पिता 
सूर्य जैसा 
कोई प्रतापी
भगवान...
**
हो सकता है
चंदन टीका लगाए
कोई गिद्ध हो
जो हर रात एक 
नया शिकार
करता हो और
सुबह न्यायाधीश बन
फैसला सुना रहा हो...
***
हो सकता है
दहेज की बलि
बेदी पे चढ़ने से पूर्व
कोई बेटी हो
और उसकी लाश को
नोंच नोंच 
कर खाने वाला
हमारा समाज..
**
हो तो यह भी
सकता है कि
मलाला जैसी
कोई बेटी हो
जिसने अपने 
अधिकार
स्वावलंबन
गरिमा
सम्मान
की बात कर दी हो
और तालिबानी समाज
ने उसे सजाए मौत दे दी हो..
(यह तस्वीर ब्लर की गई है। कभी कभी सच को खुली आंखों से देखने का साहस जरूरी है..)







गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

दंगाई

एक तरह के दंगाई
धर्म देखकर
घर जलाए
गला काटा
गोली मारी
कत्ल किया
अस्मत लूटी
2
दूसरे तरह के दंगाई
धर्म देख कर
गुनाहगार तय कर रहे
धर्म देख कर 
बचाव कर रहे
धर्म देख कर
लाशों पे विलाप कर रहे



शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

प्रेम मत मांगों

उस स्त्री ने 
प्रेम माँग लिया
उसे बहुत बुरा लगा
****
वह जानता था
स्त्री तो देह है
निष्प्राण 
मिट्टी का माधो
***
बेशर्म
बेहया
बेलज
छिनार
यह दुःसाहस
और
उसने उसे 
सजाए मौत दे दी