गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

नींद में हो क्या तुम?

1
पंजे बाली सरकार ने
भारत निर्माण का
नया नुस्खा दिया है।

रोटी/पानी
कपड़ा/मकान
और दवाई
की जगह

एटीएम/फ्लाई ओवर
मैट्रो/एयरपोर्ट...
खिसका दिया है....
2
शिवराज मोदी को मूंछ का
औ राहुल को पूंछ का बाल बता रहें है,
तो क्या अब
पंजे बाले सब मूंछ का बाल कटा रहें है...?
3
मोदी, पासवान को
साथ लेकर डींगे झार रहे है,
कहीं वे अपने पैर पे ही
तो नहीं कुल्हाड़ी मार रहे है?

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

इश्कतारी है.....


जबसे साथी पे इश्कतारी है।
हर पल उनकी खुमारी है।।

आँखों में फुल सा चेहरा।
दिल में खिली फुलबाड़ी है।।

होठों पे है हंसी हरदम।
ये कैसी लगी बीमारी है।।

जुस्तजू सी है हर सू उनका।
फिर भी मिलन में दुश्वारी है।।

हर शय में अक्स उनका है।
इश्क की ये कैसी बेकरारी है।।




(मेरे द्वारा खिची गयी एक बंजारन की तस्वीर) 

बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

अब कहां अंधेरों से डर लगता है?

अब कहां अंधेरों से डर लगता है?
साथ रहा इतना, की घर लगता है।।

तेरी जुल्फों की छांव बहुत है शकून के लिए।
बिछड़ा तो, फिरूंगा दर-व-दर लगता है।।

अमावश की रात, मिले थे हम-तुम अचानक।
उस रात की न होती सुबह, हर पहर लगता है।।

छुपा लेता है आगोश में अंधेरा, भला-बुरा सब।
इसपे भी है मोहब्बत का असर लगता है।।

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

रोज डे पे बीबी को गुलाब जो दिया...

रोज डे पे बीबी को गुलाब जो दिया।
मुफ्त का ही आफत मोल ले लिया।।

बोली

इतने सालो तक तो दिया नहीं, वह हड़क गई।
लाल गुलाब को देख सांढ़िन की तरह भड़क गई।।

जरूर किसी कलमुंही की नजर लगी है आपको।
तभी यह सब फितुर सूझा है मुन्ना के बाप को।।



मैंने कहा
डार्लिंग, अब जमाना हाई-फाई हो रहा है।
पुराना सामान अब बाय बाय हो रहा है।।

अब तो लोग रोज डे पर प्रेम का प्रदर्शन कर रहे है।
पत्नी को छोड़ फेसबुक, ट्युटर पे कईयों पर मर रहे है।

वैसे में मैं यह रोज लेकर जब आया।
फिर भी तुमको यह क्यों नहीं भाया।।

बोली
प्यार को गुलाबों से तौल कर बताते नहीं है।
जाओ जी, जताते वहीं जो निभाते नहीं है।







बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

घड़ियाली आंसू भी आंखों में यार होना चाहिए.....

घड़ियाली आंसू भी आंखों में यार होना चाहिए।
इस दौर में आदमी को दुनियादार होना चाहिए..

हों कहीं भी, खुश रहे हमदम अपना।
चाहने वालों के दिलों में ऐसा प्यार होना चाहिए।।

मिलने-जुलने का शायद यह भी एक बहाना हो।
मशरूफ जिन्दगी में कुछ न कुछ उधार होना चाहिए।।

---------------------------------------------------

क्यों कोई साथी इतना मशहूर हो जाए।
कि वह अपनों से दूर हो जाए।।
-------------------------------------------

न शिकवा है,  मुझसे शिकायत भी नहीं है।
शायद उनको मुझसे मोहब्बत ही नहीं है।।
============================

ता उम्र करता रहा तेरे आने का इंतजार।
मेरी मैयत पे भी न आओगी, सोंचा नहीं था।।
==============================

शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

वह मुझकों भी काफिर कहने लगा है..

अब कोई क्यों मुझसे खफा हो।
मैं खुद से ही खफा रहने लगा हूं।।

गैरों से अब शिकवा कैसा।
अपनों का तंज सहने लगा हूं।।

चापलूसों के दौर में सच बोल न दूं कहीं।
इसलिए मैं अक्सर चुप रहने लगा हूं।।

कहता हूं गर मोहब्बत ही है खुदा का मजहब।
वह मुझकों भी काफिर कहने लगा है।।