गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

मुझे याद तुम्हारी आई।

जितने फुल चुने थे मैंने
हर पंखुड़ी मुरझाई।
अब तो आओ पिया निर्मोही
मुझे याद तुम्हारी आई।

सावन बीता
फागुन आया
मिलन की आस जगाई
अब तो आओ पिया निर्मोही
मुझे याद तुम्हारी आई।

गुजर गए कितने लम्हें
तेरी यादोें में खोये खोये
मिलती हूं लोगों से हंस कर
दिल हमारा रोये
अब तो आओ पिया निर्मोही
मुझे याद तुम्हारी आई।

होरी में बैरी फगुनाहट
दिल पे छूरी चलाए
अब तो आओ साजन मेरे
यौवन बीता जाये।

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