किसने सोंचा था
‘‘केसरिया’’
आतंक के नाम से जाना जाएगा।
‘‘सादा’’
की सच्चाई गांधी जी के साथ जाएगा।
‘‘हरियाली’’
के देश में किसान भूख से मर जाएगा।
और
कफन लूट लूट कर स्वीस बैंक भर जाएगा।
किसने सोंचा था
लोकतंत्र में
गांधीजी की राह चलने वाला मारा जाएगा।
आज भी भगत सिंह फंसी के फंदे पर चढ़़ जाएगा।
किसने सोंचा था
भाई भाई का रक्त बहायेगा।
देश के सियाशत दां आतंकियों के साथ जाएगा।
अपने ही देश में तिरंगा पराया हो जाएगा।
और हमारा देश
शान से
आजादी का जश्न मनाएगा।
जय हिंद।
बहुत सटीक । आज का चित्रण .
जवाब देंहटाएंशोचनीय ही नहीं निंदनीय भी
जवाब देंहटाएंकटु सत्य ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.com
saty kathan ...
जवाब देंहटाएंwakai shandar.
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसच कहा ...
जवाब देंहटाएंबस उम्मीद ही कर सकते हैं कि.... ऐसा कुछ नहीं होगा
बहुत खूब ...सुंदर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की शुभकामनायें! माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे!
जवाब देंहटाएंकविता के शब्द कटु सत्य को उद्घाटित कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंतिरंगा पराया नहीं , खेलने की चीज बना दी गई है ! दुखद है , पर आज भी जिंदा हैं वे , जिनसे हिन्दुस्तां है
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
जवाब देंहटाएंबसंत पचंमी की शुभकामनाएँ।