#प्रेम की #कविता (अरुण साथी) वह रोज मिल जाती है कभी बीच सड़क कभी गली में कभी छत पे कभी झरोखे से
कभी कभी मिल जाती है सपनों में भी
नज़रें मिलते ही वह आहिस्ते से मुस्कराती है
फिर नजरे झुका चली जाती है बस...
सुन्दर
बेहतरीन
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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