शनिवार, 16 मार्च 2013

शिखर.....(काव्य)


शिखर पर पहुंचना बहुत मुश्किल नहीं है।
साहस
धैर्य
निरन्तर प्रयास
और जुनून हो
तो हर कोई पहुंच सकता है..

मुश्किल है शिखर पर टिक पाना !
अहं
घृणा
विवेक शून्यता की पराकष्ठा से
गिर पड़ता है
शिखर पर पहुंचा हुआ
``आदमी´´
और  टूट का बिखर जाता है.....

1 टिप्पणी:

  1. सच कहा है ... शिखर मिल जाता है ... पर कितने हैं जो लंबे समय तक टिक सके हैं ... भावपूर्ण ...

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