मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

हौसला रखना।।



मुझसे बस इतना सा गिला रखना।
गलत होगे तो सुनने का हौसला रखना।।

मैं आदतन आदमी कुछ खराब हूं।
मुझसे तालुकात में थोड़ा फासला रखना।।

जमाने से कुछ जुदा है फितरत साथी की।
मोहब्बत है तो रूठने-मनाने का सिलसिला रखना।।

कुछ टुकड़े
1
राख अगर है तो चिंगारी भी होगी।
इसी से जुल्म को जलाने की तैयारी भी होगी।।
2
बिछड़कर भी उनको मुझसे शिकायत है।
ना खुदा, यही तो इश्क की रवायत है।।
3
मेरे अजीज इतनी सी इनायत रखिए।
दोस्ती के सिरहाने लफ्जों में शिकायत रखिए।।
4
गुनहगारों से गुनाहों का सबब पूछते हो।
ना खुदा, क्यों बन बेअदब पूछते हो।।
5
आज फिर मौसम ने शरारत की है।
सूरज को कोहरे में छुपाने की हिमाकत की है।





9 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे अजीज इतनी सी इनायत रखिए।
    दोस्ती के सिरहाने लफ्जों में शिकायत रखिए।।... shikayat unse hi hoti bhi hai, jo shikayat ka maan rakhen

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  2. बेहद उम्दा. सारे के सारे एक से बढकर एक.

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  3. एक से बढकर एक रचना के लिए बधाई..

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  4. आग लगा दे और चला जा राज़ की बात बताती हूँ
    इतनी बार बुझी हूँ कि मैं आग बुझाना भूल गई हूँ|.....अनु

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