यूं ही विचारों कें समुद्र में उतर कर शब्दों को ढुंढने और
संजोने की आदत से लाचार कुछ लिख लेता हूं,
आपसे साझेदारी कर रहा हूं।
1
बदनाम होने का हैसला चाहिए।
अगर उल्फत है तो कुर्बान होने का भी हौसला चाहिए।
बुर्कानशी जहां में बदनाम होने का भी हौसला चाहिए।।
रोज मरते हैं यहां अकबर, सजता है मातमें बज्म भी।
बेखुद जिंदगी जी, गुमनाम मरने का भी हौसला चाहिए।।
वो जो जीते है फकत वहीं जिंदगी नहीं होती।
मुफ्लीसी में भी जीने का हौसला चाहिए।
(बज्म-सभा)
(बेखुद-आनन्दमग्न।)
2
एक मुस्लस्ल जिंदगी ही बोझ बनती है यहां,
सात जन्मांे के कसम की बात ही बेमानी है।
तुम कहो तो कर भी लूं, वादा मगर जब टूटेगा,
ये सनम यह इश्क की बदनामी है।।
3
रूठ कर जब मिलती हो सनम तो आफताब लगती हो,
मशक्कतो-मेहनत से हासिल खिताब लगती हो।
सुन्दर शायरी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!!
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
बदनामी से तो सभी डरते हैं , बदनाम होकर अस्तित्व बनाये रखने का हौसला होना चाहिए
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंमशक्कतो-मेहनत से हासिल खिताब लगती हो।bahut achchin line....
जवाब देंहटाएंवो जो जीते है फकत वहीं जिंदगी नहीं होती।
जवाब देंहटाएंमुफ्लीसी में भी जीने का हौसला चाहिए।
बहुत उम्दा..... बेहतरीन पंक्तियाँ रची हैं....
:-) achcha likha hai!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रक्तियां,
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव !
खूबसूरत प्रक्तियां,
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव !
रूठ कर जब मिलती हो सनम तो आफताब लगती हो,
जवाब देंहटाएंमशक्कतो-मेहनत से हासिल खिताब लगती हो,umda sher
सभी शेर दिल को उछालकर बाहर ला देते हैं !
जवाब देंहटाएंbadnaam hone ka hausla chaiye, achi kavita..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंkya khub .....hausla chahiye.... Dhayawad.
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