सुबह सबका अपना अपना होता है
और उसका सुख भी तभी,
सूरज उगने से पहले रोप देते है
सभी अपनी अपनी खुशी।
मैया की सुबह
सीता-राम के साथ होती है
और कानों में गुंजती है
घंटी की टन टन।
बीबी की सुबह
चाय की उस प्याली के साथ होती है
जिसकी गर्म प्याली
जब उंगली को छूती है
तब चौंक और चिढ़ कर जगता हूं मैं।
बाबू जी की सुबह
गाय-बछिया
गोबर-गौंत
और
हरियरी के साथ साथ
दुनिया भर की चिंताओं के साथ होती है।
मेरी सुबह
कोयल की कूहू कूहू
या फिर रास्ते में मिले
सियार को देख ठीठक कर होती है।
मैं तो अपनी सुबह का कोना अपने पास रखता हंू
आपको अपनी सुबह मुबारक..............
आपने बहुत ठीक पकड़ा है सुबह की अपनी अपनी खुशियों को ! अच्छी रचना के लिए के लिए बधाई !!
जवाब देंहटाएंमैं तो अपनी सुबह का कोना अपने पास रखता हंू
जवाब देंहटाएंkya baat hai......bahot sunder.
सच कहा है .... हास किसी की अपनी अपनी सुबह होती है ....
जवाब देंहटाएंमैं तो अपनी सुबह का कोना अपने पास रखता हंू
जवाब देंहटाएं..babut khoob!!
मेरी सुबह तो सुबह तो योग के साथ शुरू होती है .............बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत खूब लिखा है आपने....सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंआप इतनी उम्दा कविता भी लिखते हैं , मालूम न था। आनंद आ गया।
जवाब देंहटाएंjust one word awasome .............bahut pasand aayi aapki ye kavita
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