मंगलवार, 22 मार्च 2011

सावधान


देखा मैंने विज्ञापन एक
सलाह थी उसमें बहुत ही नेक।

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।

समझ गया मैं बात एक,
दुर्घटनाऐं क्यों होती अनेक।
सरकार कहां है सावधान,
दुर्घटनाओं का हर जगह से प्रावधान।

सावधान अगर होती सरकार,
गोधरा न होती?
न होती गांधी के पुण्यभुमि पर
नरसंहार?

सावधान होती है सरकार,
बहुमत के लिए
एक वोट की है दरकार,

हो जाता है उसका जुगार।


2 टिप्‍पणियां:

  1. विडम्बना यही है की हमारी सरकारें सावधान नहीं होती है सिर्फ विज्ञापन में ही लम्बी लम्बी बातें की जाती है..
    सत्य वचन...

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  2. सरकार सावधान तो बहुत है , लेकिन सिर्फ अपना स्वार्थ साधने में । आम जनता से उसे कोई सरोकार नहीं है ।

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