ब्लॉगिंग करने की बिमारी,
संक्रामक है बड़ी भारी।
जिसको होता इसका इंफेक्शन,
काम नहीं आता कोई इंजेक्शन।
बड़ा खतरनाक है इसका संक्रमण,
यार दोस्त पर करता अतिक्रमण।
कितने ही लोग इससे ग्रस्त है,
घर-बाहर सभी इससे त्रस्त है।
जिसको लगा रोग वह अपने में मस्त है,
रात दिन ब्लॉगिंग करने में व्यस्त है।
कॉमेंट के लिए दिन भर रिफ्रेश करता है,
बिना पढ़े ही दूसरों कें ब्लॉग पर कॉमेंट करता है।
ब्लॉगर की बीबी बेचारी,
साथ निभाना लाचारी।
ब्लॉगर पति जरा भी करता नहीं है प्रेम,
पत्नी, फिट हो जाय कोई थीम है ऐसा फ्रेम।
पत्नी यदि पतिब्रता नहीं होती,
कब की भाग गई होती।
यह रोगे कभी भी, कहीं भी किसी को भी लग सकता है,
इस लिए बंधू कोई उपाय सोंचिए,
एड्स का नहीं, ब्लॉगिंग का टीका खोजिए...
चित्र गूगल देवता से साभार
बहुत सही बात कहल हव बेचारी बीबी त परेशां हो जाले..सोचतानी ओहू के ब्लॉग लिखे के कही दी..
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक नब्ज!!
जवाब देंहटाएंयथार्थ में डूबी एक सामयिक, सार्थक रचना जो मुस्कराने के लिए विवश कर देती है.
जवाब देंहटाएंजब पत्नियों को ब्लौगिंग का संक्रमण हो जाये तो बेचारे , गम के मारे पति कैसे झेलते होंगे , इसका जिक्र नहीं किया आपने ?...Smiles..
जवाब देंहटाएंहा हा हा होली पर सभी ब्लागर धर लिये। ह्प्ली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंज़बरदस्त चुटकी ...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
वाह! बेहद सटीक भाई जी... हालाते-ब्लोगराना बयां कर दिया आपने... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंएड्स का नहीं ब्लागिंग का टीका खोजिये । बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंएड्स का नहीं, ब्लॉगिंग का टीका खोजिए...
जवाब देंहटाएंहा हा हा………………मज़ा आ गया पढकर्……………जल्दी खोजिये बहुत लोग सुखी हो जायेंगे।