शुक्रवार, 8 जुलाई 2022

पराया धन

पराया धन
***
जब से
कन्यादान में
शंख पानी ढार
बेटी को पराया 
धन बताया जाने लगा 

तभी से 
पराया धन को
निर्लज्जता से
जलाया जाने लगा...

8 टिप्‍पणियां:

  1. *शंख पानी संस्कार के दरम्यान माताएं व बहनों के द्वारा गाया गीत भावविह्वल अवश्य करता है। एक कूल से दूसरे कूल को जोड़ने की बात है।यह सिर्फ बेटियों से ही सम्भव है। बेटी ही इस मर्यादा का निर्वहन बड़े ही सहज होकर कर पाती है।अचानक एक माहौल से दूसरे माहौल की स्वीकार्यता कितना जबावदेहपूर्ण है यह सिर्फ और सिर्फ बेटियों से सम्भव है।
    जहाँ तक जलाने की बात है वो विकृति आधुनिक समय में ज्यादा विकसित हुआ है।याद करें कि पुराने समय में शादियाँ बेमेल भी होती थी।फिर भी निर्वाह जीवनपर्यंत होता था।उस काल में समाज प्रधान होता था।आज व्यक्ति प्रधान है। फैसला व्यक्तिगत होता है। व्यक्ति की आकांक्षाएं सुरसा के मुँह की तरह बढ़ती जा रही हैं। पुरुषार्थ का सर्वथा अभाव के कारण दूसरों के धन पर ज्यादा नजर होती है। धन प्राप्ति के लिए वह ससुराल पक्ष पर आश्रित हो जाते हैं।आकांक्षायें अपूर्ण होने की स्थिति में कुंठा जागृत होती है और फिर दुष्परिणाम देखने को मिलता है।

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    1. मेरा पत्रकारीय और व्यक्तिगत अनुभव कहता है कि जलाने का एक मात्र कारण पराया धन बताना है। बेटी तो पराया धन है। यही

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  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 10 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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