शनिवार, 7 जून 2014

उल्फ़त यूँ आजमाती है...

सताती है, रुलाती है।
उल्फ़त क्या क्या कराती है?
रूठती है , मनाती है। उल्फ़त ऐसे जताती है।।
रोती है, हँसाती है। उल्फ़त यूँ ही सुहाती है।।
बुलाती है, न आती है। उल्फ़त नखरे दिखाती है।।
मिलती है, न पास आती है। उल्फ़त यूँ आजमाती है।।
जलाती है, बताती है। उल्फ़त में यही भाती है।।
गाती है, बजाती है। उल्फ़त यूँ रिझाती है।।

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