सोमवार, 15 जुलाई 2013

भूख, बिल्ली और नेता..


अब कलावती के घर 
बिल्ली भी नहीं आती
समझती है वह 
कई दिनों से खामोश चुल्हे 
और भूख से बिलखते बच्चों का दर्द

पर हे जनतंत्र के कर्णधारों
इतनी छोटी से बात 
तुम क्यों नहीं समझते?

क्यों रोटी की जगह 
धर्म का अफीम देकर
सुला देना चाहते हो हमें
भूखे पेट 
बारबार, लगातार....


9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सार्थक मार्मिक कटाक्ष
    आपकी रचना कल बुधवार [17-07-2013] को
    ब्लॉग प्रसारण पर
    हम पधारे आप भी पधारें |
    सादर
    सरिता भाटिया

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  2. उफ़ मार्मिक .....आज की सरकार पर करारा वार ...काश कोई नेता हम लोगों का ब्लॉग पढ़ता होता ...तो समझ जाता की उनकी सरकार कितनी निकम्मी और बेकार है

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  3. बहुत प्रभावी ... धर्म की घुट्टी तो सदा से ही पिलाई जाती रही है अपने समाज में ...

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