नहीं नहीं
वैसे समय में
जब
सब
कर रहें हों उपक्रम
तुम्हें चुप कराने का
तुम चुप मत रहना,,
नहीं नहीं
वैसे समय में
जबकि
सल्तनत के बादशाह
देकर लोकतंत्र की दुहाई
तेरी जुवान सिल देना चाहतें हों
तुम जोर जोर से चिल्लाना,,
नहीं नहीं
वैसे समय में
यह सोंच कर
कि कहीं तुम भी कहलाओ
बागी
एक आवाज लगाना,,
नहीं नहीं
तुम डर मत जाना
क्योंकि
डर तो वे रहें है
कि
तुम डर नहीं रहे हो..............