शनिवार, 15 दिसंबर 2012

तोहमत


1
तोहमत लगाने का जहां में चलन है साथी,
किसी से मत कहना कि तुम पाक दामन हो।।
2
जमाने की निगाहों से कभी खुद को न देखो साथी,
खुदा ने सबको इक रूह का चश्मा दिया है।
3
वो फितरतन फरेबी हैं, तुम परेशां क्यूं हो साथी,
बुरे को इक दिन बुरा मान जाएगें लोग।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खुब. तीसरा वाला ज्यादा पसन्द आया.

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  2. सही तो है ...सच को तो सामने आना ही है

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  3. आपके ब्लाँग पर आज पहली बार आया आपकी रचना कमाल की हैँ इसलिए अब मैँ भी इस ब्लाँग का :साथी: बन गया ।

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  4. वो फितरतन फरेबी हैं, तुम परेशां क्यूं हो साथी,
    बुरे को इक दिन बुरा मान जाएगें लोग।


    सच्ची अभिव्यक्ति

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  5. तोहमत लगाने का जहां में चलन है साथी,
    किसी से मत कहना कि तुम पाक दामन हो।।

    बहुत उम्दा शेर हैं साथी जी. बधाई.

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