1
तोहमत लगाने का जहां में चलन है साथी,
किसी से मत कहना कि तुम पाक दामन हो।।
2
जमाने की निगाहों से कभी खुद को न देखो साथी,
खुदा ने सबको इक रूह का चश्मा दिया है।
3
वो फितरतन फरेबी हैं, तुम परेशां क्यूं हो साथी,
बुरे को इक दिन बुरा मान जाएगें लोग।
तीनों मुक्तक अच्छे हैं
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबहुत खुब. तीसरा वाला ज्यादा पसन्द आया.
जवाब देंहटाएंउम्दा..
जवाब देंहटाएंसही तो है ...सच को तो सामने आना ही है
जवाब देंहटाएंआपके ब्लाँग पर आज पहली बार आया आपकी रचना कमाल की हैँ इसलिए अब मैँ भी इस ब्लाँग का :साथी: बन गया ।
जवाब देंहटाएंवो फितरतन फरेबी हैं, तुम परेशां क्यूं हो साथी,
जवाब देंहटाएंबुरे को इक दिन बुरा मान जाएगें लोग।
सच्ची अभिव्यक्ति
तोहमत लगाने का जहां में चलन है साथी,
जवाब देंहटाएंकिसी से मत कहना कि तुम पाक दामन हो।।
बहुत उम्दा शेर हैं साथी जी. बधाई.
उम्दा !!
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