संगमरमर के सीने पर
छेनी से
उकेरा जा रहा था
दानदाता का नाम
कथित ईश्वर के घर
लगेगा आदमी का
नाम.....
उस दिन
नाली की ढक्कन पर भी
उकेरा जा रहा था
दानदाता का नाम..
छेनी से
उकेरा जा रहा था
दानदाता का नाम
कथित ईश्वर के घर
लगेगा आदमी का
नाम.....
उस दिन
नाली की ढक्कन पर भी
उकेरा जा रहा था
दानदाता का नाम..
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनाम अमर करने का यही सबसे अच्छा तरीक़ा है
जवाब देंहटाएंनाम की चाहत में कम से कम दान तो करते हैं ....
जवाब देंहटाएंकटाक्ष ... गहरा चिंतन समाज की प्रवृतियों का ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसंगमरमर के सीने पर
जवाब देंहटाएंछेनी से
उकेरा जा रहा था
दानदाता का नाम
कथित ईश्वर के घर
लगेगा आदमी का
नाम.....
गहन रचना ...
शुभकामनायें ॥
बस कहीं भी नाम उकेरा जाना चाहिए..
जवाब देंहटाएं