न हिंदू लगता है, न मुस्लमान लगता है।
अजीब शय है वह, इंसान लगता है।।
यूं तो फरीस्ते ही सभी है इस कब्रिस्तान में।
अदब से जो शख्स शैतान लगता है।।
रोज हंसता है वो धोकर अपने दामन से लहू।
लूटा हो जैसे गैरों का अरमान लगता है।।
खुदा भी वही है, खुदी भी उसी के पास।
बोल दो, वह बड़ा ही बदगुमान लगता है।।
आसान भाषा में तीखे शेर कहना कोई आपसे सीखे. बहुत खूब...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त रचना, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सशक्त रचना...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति.....
BAHUT SATEEK BHAVON KO PRAKAT KIYA HAI AAPNE HAR ASHAAR ME.BADHAI
जवाब देंहटाएंन हिंदू लगता है, न मुस्लमान लगता है।
जवाब देंहटाएंअजीब शय है वह, इंसान लगता है।।..
बहुत खूब ... मतला ही इतना लाजवाब है की बार बार दोहराने का मन करे ,,, बहुत खूब ...
न हिंदू लगता है, न मुस्लमान लगता है।
जवाब देंहटाएंअजीब शय है वह, इंसान लगता है।।
ये करतूत तो हमारी देन है जो इंसानों को हिंदू और मुसलमान बना देती है.
बहुत सुंदर रचना. बधाई
@ अजीब शय है वह, इंसान लगता है।।
जवाब देंहटाएंसब कुछ है बस यही नहीं है ....
शुभकामनायें आपको !
बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंरोज हंसता है वो धोकर अपने दामन से लहू।
जवाब देंहटाएंलूटा हो जैसे गैरों का अरमान लगता है।।
वाह बहुत खूब