1
सत्ता और विपक्ष।
उनके रूठने की अदा सुभानअल्ला,
उनके मनाने की अदा माशाअल्ला।
हम भी है वाकिफ इस याराने से,
अब कैसे बचे देश इस शातिराने से।
2
मीडिया।
अब तो चौथेखंभे के गिरने का सवाल उठता है,
जिन सवालों के लिए थे वो, उसपर सवाल उठता है।
हर सवालों के सवाल से हम वाकिफ है,
ना खुदा तुम नहीं, तुमको भी खुदा हाफीज है।।
3
नैतिकता
नहीं आसां है यह करना,
है मुश्किल बड़ा खुद से लड़ना।
मेरी भी आदत है कि मैं चुप रहता हूं,
जो भी हो, आदत है इसी के साथ रहता हूं।।
4
हौसला, प्यास से बड़ी होती है,
मंजिल उसी के तलाश में खड़ी होती है।
5
जाग उठा है देश, बस आवाज बुलंद रखिए,
अन्ना अन्ना अन्ना,
बस यही साज-ओ-छंद रखिए..
वाह, सभी एक से बढकर एक!
जवाब देंहटाएंकहने का ढंग सुभान अल्लाह !
जवाब देंहटाएंawaz buland ho ....yahi asha jagaya hai apne is kavita me...badhiya prastuti
जवाब देंहटाएंवाह जी वल्लाह
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी नवीन प्रस्तुतियों पर पधारने का निमंत्रण स्वीकार करें.
bahot achche......
जवाब देंहटाएंजाग उठा है देश, बस आवाज बुलंद रखिए,
जवाब देंहटाएंअन्ना अन्ना अन्ना,
बस यही साज-ओ-छंद रखिए..
वाह अरुण जी सुबह सुबह इतनी सुंदर क्षणिकाएं.
बस मज़ा आ गया.
अब तो चौथेखंभे के गिरने का सवाल उठता है,
जवाब देंहटाएंजिन सवालों के लिए थे वो, उसपर सवाल उठता है।
हर सवालों के सवाल से हम वाकिफ है,
ना खुदा तुम नहीं, तुमको भी खुदा हाफीज है.....
Lovely lines...
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बेहतरीन....अरुण!!
जवाब देंहटाएंअन्ना अन्ना अन्ना ...
जवाब देंहटाएंयूँ तो सभी क्षणिकाएं कमाल की हैं ...
बढ़िया...
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