मंगलवार, 2 अगस्त 2011

इवादत के फूल




















मैंने तो फूल लाए थे इबादत के लिए

उसको भी लहू में डुबो गया कोई...



पैगामे मोहब्बत की हवा आज भी चलती तो है

रास्ते में जहर उसमें बुझो गया कोई...



कातिल है उनकी नजर बहुत साथी

करीब आने पर, मुझको बता गया कोई.....



कागज पे लिखे कुछ हरफ थे महज उनके लिए

बजूदे राख हुए तो लहू से लिखने की बात बता गया कोई...



अब तो, बात अमन की हो तो मुझको बुरा लगता है

है यह सियासत भर, कह कर मुझको सता गया कोई...



हिना तो हथेली पर सजाने के लिए होती है

इम्तहां ए मोहब्बत में माथे पे सजा गया कोई....

9 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  2. कातिल है उनकी नजर बहुत साथी
    करीब आने पर मुझको बता गया कोई

    क्या बात कही है..
    खूबसूरत ग़ज़ल।

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  3. अब तो, बात अमन की हो तो मुझको बुरा लगता है
    है यह सियासत भर, कह कर मुझको सता गया कोई...
    ..sach siyasat har jagah ghar kar gayee hai..
    bahut badiya prasttuti

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  4. अब तो, बात अमन की हो तो मुझको बुरा लगता है

    है यह सियासत भर, कह कर मुझको सता गया कोई...बहुत खूब कहा ,हालाते बयाँ आपने ,इस मुल्क का नसीब आपने .
    .http://veerubhai1947.blogspot.com/
    बुधवार, १० अगस्त २०११
    सरकारी चिंता
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    Thursday, August 11, 2011
    Music soothes anxiety, pain in cancer "पेशेंट्स "

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  5. बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
    रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.

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  6. बहुत सुंदर ,अच्छी लगी, बधाई ...

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