आह , पुरुष की मानसिकता बदलने में सदियां लग जायेगी ।
जी
पुरुष की मानसिकता नहीं, व्यक्ति की। (महिला सहित)।इसे लिखने वाला भी तो पुरुष ही है।
उसने पर कतर दिए..ओह....
जीयही होता है
आभार आपका
अद्भुत !
आभार
सच पंख कतरने में बड़े माहिर हैं लोग..ऐसी मानसिकता कभी नही बदलती.. अनोखी कृति..समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी पधारें..
पंख हैं तो फिर से उग आएँगे। हौसला चाहिए। पंख हों तो अपना आसमान होगा... क्यों किसी के हाँ या ना पर जियें?
आह , पुरुष की मानसिकता बदलने में सदियां लग जायेगी ।
जवाब देंहटाएंजी
हटाएंपुरुष की मानसिकता नहीं, व्यक्ति की। (महिला सहित)।
हटाएंइसे लिखने वाला भी तो पुरुष ही है।
उसने पर कतर दिए..
जवाब देंहटाएंओह....
जी
हटाएंयही होता है
आभार आपका
जवाब देंहटाएंअद्भुत !
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंसच पंख कतरने में बड़े माहिर हैं लोग..ऐसी मानसिकता कभी नही बदलती.. अनोखी कृति..समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी पधारें..
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंपंख हैं तो फिर से उग आएँगे। हौसला चाहिए।
जवाब देंहटाएंपंख हों तो अपना आसमान होगा...
क्यों किसी के हाँ या ना पर जियें?